युवावस्था 15
से 35 वर्ष
की मानी जाती
है। यद्यपि हमारे
बाल 20 में ही पक
गए थे और अब तो
साँस भी फूलने
लगी है। कमरदर्द
तो महीने में दो दर्दनिवारक
ट्यूब का व्यय
करा ही देता
है पर जब
हमने एक बार
पढ़ लिया कि
35 वर्ष तक
व्यक्ति युवा रहता
है तो उससे
पहले स्वयं को
अधेड़ मानने का
प्रश्न ही नहीं
उठता। इसलिए अभिनेत्रियों के नए –
नए वीडियो हम
यूट्यूब पर खोजते
रहते हैं। पिछले
रविवार की सुबह भी
हमने लैपटॉप पर यूट्यूब खोला
और सोचा कि आज आलिया
भट्ट का वीडियो
देखेंगे। इसलिए टाइप
किया Alia Bhatt in March, पर
इतने में ही
हमारी धर्मपत्नी कमरे
में आ गयीं
और घबराहट में
हमसे आलिया की
बजाय एलियन टाइप
हो गया। अब
जो वीडियो खुला
उसका पहला ही
संवाद था कि मार्च में
तबाही आने वाली
है। तबाही शब्द
सुनते ही एकबारगी
हमें लगा कि
अगली फिल्म में
आलिया वास्तव में
अभिनय करने वाली
हैं पर तभी
भाँति – भाँति की उड़नतश्तरियों
और गंजे सिर
के तीन ऊँगलियों
वाले हाथ रखने
वालों के फोटो
आने लगे तो पूर्ण विश्वास
हो गया कि
आलिया के वास्तविक
अभिनय जितनी बड़ी
तबाही नहीं आने
वाली।
खैर अच्छी
बात ये रही कि पत्नी
के सामने ये
बात खुलने से
रह गयी कि हम आलिया
का वीडियो देख
रहे थे। इसलिए
हमने वो वीडियो
चलने दिया। वीडियो
में बताया गया
कि एलियंस मार्च में कभी
भी आ सकते
हैं और फिर
वो धरती पर सभी मानवों
को अपना गुलाम
बना लेंगे। ये
एक चिंताजनक बात
थी। पर महिला
होने के नाते
धर्मपत्नी जी ने
हमसे अधिक चिंताग्रस्त
मुद्रा में कहा – “ ऐ!
जी आपको क्या
लग रहा है? मार्च के
शुरू में आएँगे
कि अंत में? ”
मैंने वीडियो
को पॉज किया
और कहा – “ पता
नहीं इन वैज्ञानिकों
का,
जिस दिन बारिश
होने का ऐलान
करते हैं उसके
दो दिन बाद
ही होती है। मुझे तो लगता
है कि अप्रैल
से पहले न
आने के। ”
धर्मपत्नी ने कहा
– “ पर
आ तो रहे
हैं न सबसे
बुरी खबर तो
यही है। ऐसा है जी
की दुनिया तो
होने वाली है
खत्म। अब आप
मेरी वो इच्छाएँ
पूरी कर दीजिए
जिन्हें आप कभी
अगला वेतन मिलने
तो कभी अगला
बोनस मिलने के
नाम पर टाल
देते हैं। वर्ना मेरी आत्मा
तो मरने के
बाद भटकेगी। मैं कागज लाती
हूँ इच्छाएँ लिखने
को। ”
मन में
तो आया कि
कह दूँ कि जब दुनिया
ही खत्म हो
जाएगी तो तुम्हारी
आत्मा भटककर किसे
परेशान कर लेगी? पर तार्किक बातें वो भी
पत्नी से करने
की हिम्मत नहीं
की। मैंने कहा – “ पर अगर एलियन
न आए तो
या आए और
हमसे हार गए
तो या आए
और नेताओं ने
उन्हें अपनी तरह
भ्रष्ट बनाकर उन्हें
पैसे से खरीद
लिया तो या
कॉलोनी के सचिव
शर्मा जी ने
चंदा करके उन्हें
पैसे दे दिए
कि हमारी कॉलोनी
को बख्शकर कहीं
और तबाही करो
तब तो हम लोग बच
जाएँगे और ये
फिजूलखर्ची से बैंकबैलेंस
कम न हो
जाएगा? ”
अपना पक्ष
हमने उतनी ही
मजबूती से रखा
जितनी मजबूती से
आत्मसमर्पण करने वाले
डाकू का पक्ष
उसका अधिवक्ता रखता
है। अब तक धर्मपत्नी एक
कागज कलम लेकर
मेरे पास बैठ
चुकी थी। उसने कहा – “
फिजूलखर्ची होगी आपके
लिए मेरे लिए
तो जरूरतें की
चीजें हैं। पिछली
सप्ताह मॉल में
मुझे एक 588
की लिपिस्टिक पसंद
आयी थी वो तो चाहिए
ही चाहिए। ”
मैंने कहा – “ पर पिछले वेतन
से ही तो
200 की लिपिस्टिक
दिलायी थी। अभी
तो वही आधी
बची होगी। ”
धर्मपत्नी ने कहा
– “ लिपिस्टिक तो
आधी बची है
पर जिंदगी तो
आधी भी नहीं
बची। आधी क्या
आधे महीने की
भी नहीं बची।
अब सब इच्छाएँ
तो अभी पूरी
करनी हैं न।
इसलिए मुझसे बहस
मत कीजिए और
लिखिए कागज पर। ”
धर्मपत्नी की
लिपिस्टिक की माँग
की तीव्रता ने
मेरे लिप्स पर
मानो फेवीस्टिक लगा
दी थी और
मैंने कागज पर
पहली माँग उतार
ही दी। माँगों
की बोहनी होने
की प्रसन्नता का
भाव धर्मपत्नी के मुख पर
आ गया। पत्नीश्री
ने एलियंस के
आने के पॉज
करे हुए वीडियो
को प्ले किया।
वीडियो में बताया
गया कि एलियंस
आएँगे तो संसार
में बस एक
ही धर्म रह
जाएगा जिसका पालन
एलियंस अनिवार्य रूप
से करवाएँगे।
पत्नीश्री ने
वीडियो पुन: पॉज किया
और धर्मपत्नी जी ने दूसरी
माँग रखी – “ सुनिए जी, पिछले
तीन साल से
आप जागरण टाल
रहे हैं। इस बार तो
जागरण कराना ही
पड़ेगा। ”
आलस का
भाव मुझमें इतना रहता
है कि दिन
में दो घण्टे
सोए बिना रात
को नींद नहीं आती, तो
ये जागरण में
कौन जगेगा। मैंने
कहा – “
अरी! भाग्यवान जागरण
कराकर क्या करोगी? वैसे
ही मुनिया जिस
दिन रात में
उठ जाती है उस रात
नींद टूटने से
जागरण हो जाता
है। ऊपर से कुछ ही
रातें रह गयी
हैं जब हम
लोग चैन की
नींद सो सकते
हैं तो जागरण
कराकर एक रात
क्यों खराब करवा
रही हो? ”
धर्मपत्नी ने कहा
– “ देखिए
जी,
मैंने तीन महीने
पहले आपके साथ
वो बनारसी साड़ी
खरीदी थी उसे
आज तक पहनने
का मौका नहीं
लगा है। वो
पड़ोस की सुशीला
को देखिए कोसा
सिल्क की ही
साड़ी लायी थी
और तीसरे दिन
ही कथा का
बुलावा देकर सबको
साड़ी दिखा दी।
एक मैं हूँ
जो तीन महीने
से इंतजार कर रही हूँ। ऊपर से
एलियंस अपना धर्म
लागू कर देंगे
तब तो जागरण
हो ही नहीं
पाएँगे। इसलिए अबकि
तो जागरण कराइए
ही कराइए। ”
धर्मपत्नी जी
के जागरण कराने
का कारण उतना
ही विचित्र था
जितनी विचित्र एलियंस
की सूरत होती
है। पर दोनों
पर ही टिप्पणी
व्यर्थ होती है।
अत: मैंने चुपचाप
पत्नी की ये
माँग भी नोट
कर ली। अब
पत्नी ने अपने
गाल पर हाथ
रखा और तर्जनी
ऊँगली गति की
अवस्था में थी।
ऐसी मुद्रा को
कुछ मनोवैज्ञानिकों ने
सोचने की मुद्रा
बताया है और पत्नी के इसी मुद्रा
में आने से
हमें डर लगता
है। खैर पत्नी
जी इस मुद्रा
में आ ही
चुकी थीं और
वास्तव में कुछ
सोचकर कहा – “ उटी
सही रहेगा। ”
मैंने कहा – “ उटी?
पर किसलिए? ”
धर्मपत्नी ने कहा
– “ घूमने
के लिए और
किसलिए?
आखिर इंसान उटी
और किसलिए जाता
है? ”
मैंने कहा – “ पर उटी तो
अपने घर से
बहुत दूर है, वहाँ
जाकर क्या करोगी? आगरा
चलो न वो
पास में है, जाना
सस्ता है और वहाँ दुनिया
का सातवाँ आश्चर्य
भी है – ताजमहल। ”
हमने आश्चर्य
के नाम पर
पैसा बचाने का
एक प्रयास किया
जिसे धर्मपत्नी ने
ये कहकर असफल
किया – “
ओफ्फो,
मैंने भी कहाँ
मास्टर से शादी
कर ली। सब
के सब ओल्डफैशन
होते हैं। आपको
कुछ पता तो
है नहीं ताजमहल
में कुँवारे जोड़े
ज्यादा जाते हैं
और हनीमून के
लिए लोग उटी
जाते हैं। हमारा
हनीमून तो नहीं
है पर हम
शादीशुदा हो चुके हैं
इसलिए पहाड़ पर
ही जाएँगे। आप
उटी लिखिए,
वो भी गाड़ा
करके और हाँ
ब्रेकेट में बर्फ़
में खेलना भी
लिख लीजिएगा,
कहीं कुछ रह
न जाए। ”
काँपते हाथों
से हमने उटी
लिख दिया। उधर
पत्नी ने पुन:
पॉज वीडियो को
प्ले किया। वीडियो
में बताया गया
कि जहाँ पर
लोग एलियंस की
बातें नहीं मानेंगे
वहाँ पर एलियंस
बमवर्षा करेंगे। धर्मपत्नी
ने ये देखकर
वीडियो पॉज किया
और कहा – “ अब
तो अपनी कॉलोनी
पर बम गिरेगा
ही गिरेगा ये
पड़ोस वाली गुप्ताइन
है न इसका
तो रिकॉर्ड है
कि अपने पति तो क्या
कभी अपने माँ – बाप
की भी न
सुनी तो एलियंस
की क्या सुनेगी
और वो सात
नम्बर गली वाली
प्रियंका वो तो
औरत होकर भी
ब्यूटी पार्लर वाली
तक से झगड़ा
कर लेती है
तो एलियंस की
क्या सुनेगी। देखिए
जी,
अपनी कॉलोनी पर
बम गिरे इससे
पहले मेरी बर्थडे
पार्टी करा दीजिए।
आपने शादी के
बाद मेरा एक
भी बर्थडे ठीक से नहीं
मनाया और पिछले
बर्थडे को तो
स्कूल में इंस्पेक्शन
के नाम पर
छुट्टी भी नहीं
ली थी। ”
पत्नीश्री की
माँगसूची बढ़ती ही जा रही
थी और बैंकबैलेंस
की राशि मुझे
घटते हुए दिखायी
दे रही थी। मैंने कहा – “ ये
माँग बिल्कुल भी
नहीं मानी जाएगी।
बताओ तो तुम्हारा
जन्मदिन होता है
दिसम्बर में। तब
तक दुनिया वैसे
ही समाप्त हो
जाएगी या एलियंस
की गुलाम हो
जाएगी तो तुम्हारा
जन्मदिन कैसे धूमधाम
से मनेगा? ”
धर्मपत्नी ने कहा
– “ अरे!
इसीलिए तो मैं
अभी अपना बर्थडे
मनाना चाहती हूँ।
क्योंकि दिसम्बर में
तो मौका मिलेगा
नहीं बर्थडे मनाने
का। मैं आज
ही अपने फेसबुक
प्रोफाइल पर अपनी
बर्थ डेट बदल
दूँगी। आप कोई
डेट बता दीजिएगा
जिस दिन आपको
छुट्टी मिल सके
उसी दिन बर्थडे
पार्टी मना लूँगी। ”
मैंने कहा – “ छुट्टी क्यों खराब
करवा रही हो
जब मनमर्जी मना
रही हो तो
अगले रविवार को
मना लेना। ”
धर्मपत्नी जी
ने कहा – “ हद
है आपसे! इस जन्म में
तो सोलह सोमवार
के व्रत सही
से रखे थे। पर
पता नहीं पिछले
जन्म के कौन
से कर्म थे जो आप
जैसा बेरोमांटिक पति मिला। रविवार
को बर्थडे मनाएँगे
तो लोगों को
लगेगा कि आप
मुझसे प्यार नहीं
करते। आप मेरे
बर्थडे के लिए
छुट्टी लेंगे तो
मेरी भी कॉलोनी
में साख बढ़ेगी। वैसे
भी एलियंस ने
छुट्टियाँ खत्म कर
दीं तो आपकी
बची हुई छुट्टियाँ
बेकार ही हो
जाएँगी। इसलिए बुधवार
को जन्मदिन मनाएँगे
उस दिन किसी
का व्रत भी
नहीं होता। इसे
भी नोट कीजिए
जी। ”
सिर झुकाकर
हमने ये माँग
भी लिख ली। फिर वीडियो
को पॉज,
प्ले करने का
खेल चलता रहा।
प्रत्येक पॉज के
बाद पत्नीश्री एक
नयी माँग रखती
थीं जिसे मजबूरनवश
हमें लिखना पड़ता। कागज भर
चुका था और
पत्नी पुन: प्ले
का बटन दबाने
जा रही थी
पर हमने रोकते
हुए कहा – “ अरी!
भाग्यवान मैं इतनी
देर से तुम्हारी
इच्छाएँ लिख रहा
हूँ अब तनिक
साँस तो लो और दो
घूँट पानी तो
ले आओ। ”
धर्मपत्नी जी
ने कहा – “ ठीक
है जी ला
रही हूँ पर
इस कागज पर
नीचे एक नोट
लिख दीजिए कि
मैं हर हाल
में इन माँगों
को पूरा करूँगा
और अपने हस्ताक्षर
कर दीजिए। फिर
इसे मैं लॉकर
में रखकर आपको
पानी लाती हूँ। आपका क्या
भरोसा कल को
मुकर गए तो। ”
धर्मपत्नी जी
के वाक्य को
पत्थर की लकीर मानकर हमने
हस्ताक्षर करके अपने ‘कल्पपुरूष’ होने
पर मोहर लगायी।
धर्मपत्नी जी माँगसूची
को लेकर चली
गयीं और मैंने
राहत की साँस
ली। 15 सेकण्ड
के बचे उस
वीडियो पर प्ले
बटन को दबाया
और क्या सुनता
हूँ ‘एलियंस
के आने की
ऐसी कई अफवाहें
और झूठे वीडियो
यूट्यूब पर चल रहे हैं।
एलियंस के बारे
में नासा या
इसरो ने कोई
पुष्टि नहीं की
है। अत: ऐसी
अफवाहों से सावधान
रहें।’
‘धत्त
तेरे की’, ‘उफ्फ’, ‘हाय रे!’ अफसोस
प्रकट करने के
इतने ही शब्द
आते थे हमें।
मति मारी गयी
थी हमारी जो
अंत के 15
सेकण्ड का वीडियो
प्ले होने से
पहले ही पत्नीश्री
को यहाँ से
हटा दिया था।
ऊपर से माँगसूची
पर हस्ताक्षर और
कर दिए थे।
अब एलियंस आएँ
या न आएँ
पर पत्नी की
माँगसूची को मना
करने का साहस
मुझमें नहीं था।
हम अपना सिर
पकड़कर बैठे थे
इतने में ही
पत्नी पानी ले
आयी और हमसे
पूछा – “
क्या हुआ
जी,
अंत के 15
सेकण्ड में क्या था? ”
मैंने कहा – “ बस यही कि
एलियंस आने से
पहले ही लोगों
के बैंक अकाउंट्स
खाली कर देंगे। ”
लेखक
प्रांजल सक्सेना
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