“ कहाँ रह गए थे आप ? ये भी कोई समय है घर आने का ? ”
शाम को 5
बजे
घर में घुसते हुए बड़े साहब की पत्नी नर्मदा ने साहब की साहबगिरी को आड़े हाथों ले लिया । अपने मातहतों पर रौब जमाने में ख्याति
प्राप्त बड़े साहब ( दिनेश ) लगभग मिमियाते हुए बोले
- “ आज
मीटिंग थी इसलिए लेट हो गया । पर तुम आज
तुम मेरा इंतजार कैसे कर रही थीं ? टीवी खराब हो गया क्या ? ”
नर्मदा - “ टीवी नहीं
खराब है । मेरा मूड खराब है । ”
दिनेश - “ क्यों ऐसा
क्या हो गया अब ? क्या आज फिर किसी ने तुम्हें आंटी कह दिया ? देखो कितना भी खिजाब लगा लो पर एक उम्र
ऐसी आ ही जाती है जब उम्र छुपाना
मुश्किल होता है । इसलिए अब इस बात को दिल पर मत लिया करो । ”
नर्मदा - “ क्या आप भी
जब देखिए मेरी उम्र के पीछे पड़े रहते हैं । जब तक भारत में एक भी ब्यूटी पार्लर है कोई भी औरत
बूढ़ी नहीं हो सकती ये जान लीजिए । मैं तो बस
केले न मिलने की वजह से परेशान हूँ । ”
दिनेश - “ केले ?
”
नर्मदा - “ हाँ केले ।
मेरे लिए सोमवार के व्रत में केले लाने की जिम्मेदारी आपकी होती
है । पर आज आप पता नहीं क्यों मेरे उठने से पहले ही चले गए थे । मैंने दीपू को भेजा था केले लेने पर उसने बताया कि आज उसे केले
का एक भी ठेला नहीं मिला । ”
दिनेश - “ अरे ! मेरा
आज सुबह जल्दी जाना जरूरी था । सात बजे ही निकलना था । आज 4 जुलाई थी न
मुझे चेक करना था कि किस मास्टर ने कितने बच्चों को फल बाँटें । फल बाँटें भी कि नहीं । एक बजे तक स्कूलों में घूमता रहा फिर
ऊँचे साहब को रिपोर्ट देकर आया । इसलिए आज इतना
व्यस्त रहा । ”
नर्मदा - “ अरे ! आपकी
व्यस्तता नहीं जाननी मुझे । मुझे तो सिर्फ इतना बताइए कि आज केले क्यों नहीं मिले
। ”
दिनेश ने
ठोड़ी पर हाथ रखा और कुछ सोचने लगा । ठोड़ी पर हाथ रखना सोचने की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा होती है । इस मुद्रा में आने के बाद
सामने वाले बड़े से बड़े बातूनी को कुछ देर के लिए
शांत किया जा सकता है ताकि इंसान शांति से
कुछ सोच सके । दिनेश ने भी इस अंतरराष्ट्रीय मुद्रा को अपनाकर अपने मस्तिष्क पर केले न मिल पाने की अति गम्भीर व अंतरब्रह्मांडीय
समस्या पर विचार किया ।
इससे पहले
नर्मदा टोकती दिनेश ने कहा - “ हाँ समझ गया । आज जहाँ भी विद्यालय में चेक करने गया सब जगह केले ही बंट रहे थे । सारे मास्टरों
ने केले खरीदे थे इसलिए केले आज ठेलों से उड़ गए
होंगे । ”
नर्मदा - “ अरे ! तो
सबने केले ही क्यों लिए और भी तो फल होते हैं । मेरे ही प्रिय फल पर क्यों टूट पड़े
ये मास्टर ? ”
दिनेश - “ अब एमडीएम का
मारा मास्टर केले न लेगा तो क्या लेगा । केला सबसे सेफ साइड
थी मास्टरों के लिए । जैसे तुम्हारे लिए मायके जाने की धमकी होती है । आम कार्बेट लगा आ रहा है । जामुन बाँट नहीं सकते। सेब तो इतने
महँगे हैं कि मास्टर अपने घर के लिए खरीदने से
पहले सौ बार सोचे । इसलिए आज सबने केले लिए
क्योंकि ये ही सस्ता फल था और वैसे भी मास्टरों में आपस में पूछ - पूछकर काम करने की आदत होती है । ऊपर से आजकल व्हाट्सएप्प और
फेसबुक चल गए हैं । किसी ने केले का सुझाव दिया होगा
तो लहर चल गई होगी मास्टरों में । ”
नर्मदा - “ ये फल तो हर
सोमवार को बँटा करेंगे तो क्या हर सोमवार को केला बाजार से गायब जो जाया करेगा ?
”
दिनेश - “ बिल्कुल
क्योंकि मास्टर केला ही बाँटेंगे । वैसे भी आज पहला दिन था ।
आगे
से देखना हर सोमवार को फल बंटेंगे तो सोमवार को ज्यादा बच्चे आया करेंगे और केले की कालाबाजारी तक हो जाएगी । मास्टर दो दिन
पहले से स्टॉक कर लिया करेंगे । ”
नर्मदा - “ हे ! भगवान
ऐसा होगा तो मेरा क्या होगा ? मैं तो सोमवार का व्रत भी केले के भरोसे
रखती हूँ । कुछ तो करिए । ”
दिनेश - “ अरे ! तो मैं
क्या करूँ ? फल तो बंटने ही हैं न और मास्टर केले के बजाय
कुछ बाँटेंगे नहीं । आगे से ऐसा करेंगे कि दो दिन पहले ही केले ले आया करेंगे । फ्रिज में रख देंगे ताकि तुम्हारा व्रत आराम से हो
सके । ”
नर्मदा - “ न जी न ।
फ्रिज में तो कतई न लाकर रखेंगे । फ्रिज में तो दुनिया भर का
बासी
खाना रखा रहता है । कभी-कभी जूठा भी । ऐसे में व्रत की चीज फ्रिज में कैसे रखूँ । आप कोई और तरकीब लगाइए । ”
दिनेश - “ अब इसमें
तरकीब क्या लगाऊँ । मास्टरों से कोई नहीं जीत सकता । इन्हें जब
काम करना होता है तब ये कैसे भी कर ही लेते हैं । केले तो इनसे कोई न झपट पाएगा । तुम एक काम करो सोमवार के अलावा भी तो छः दिन होते
हैं सप्ताह में । किसी और दिन व्रत रख लिया करो तो
केले की किल्लत न होगी । ”
नर्मदा - “ हे भगवान !
आप तो नास्तिकों को भी पीछे छोड़ दें । आज दिन बदलने को कह रहे
हैं कल धर्म बदलने को न कह दें । देखिए कुछ भी हो जाए पर सोमवार का व्रत मैं नहीं छोड़ सकती । आख़िरकार इसी व्रत से
तो अच्छा पति मिलता है और शादी के बाद
रखने से पति पत्नी से ही चिपका रहता है । इसी व्रत के बल पर तो कई बेवकूफ लड़कियों को भी अच्छा पति मिल जाता है । अभी चिंकी 11
की
है आगे बढ़ी होगी तब वो भी ये व्रत रखा करेगी ।
उसे भी केले बहुत पसंद हैं । आगे भी ऐसे ही
किल्लत रही तो केले कम ही होंगे तब हमारा क्या होगा ? केले तो हमें चाहिए ही । मुझे ठीकठाक पति मिल गया है पर मुझे चिंकी के लिए
आपसे भी बढ़िया दामाद चाहिए । इसलिए कुछ भी करिए
पर केले लाइए । ”
दिनेश - “ अरे ! एक तो
नौकरी में वैसे ही पचासियों समस्याएँ हैं । ऊपर से तुम ये नई
परेशानी पैदा कर रही हो । केले तो अब मास्टरों की संपत्ति मानकर चलो । ”
नर्मदा - “ अरे ! ऐसे
कैसे चलेगा । कैसे निष्ठुर बाप हैं आप । आपको चिंकी के भविष्य
की जरा भी चिंता नहीं है । मैंने बहुत सारे नाटक देखकर ये जानकारी जुटाई है कि सोमवार का व्रत यानि अच्छा पति और हम माँ बेटी के
लिए व्रत यानि कि सुबह से शाम तक केले ही केले ।
अब इसका इंतजाम कैसे हो ये आपकी जिम्मेदारी ।
वर्ना मैं अपने एनआरआई भाई के पास रहने चली जाऊँगी क्योंकि भारत
में तो मास्टर केले छोड़ेंगे नहीं । ”
दिनेश - “ ओफ्फो ! केले
, केले
, केले
तुम औरतें भी एक बात की जिद्द पकड़ लेती हो ।
अगर केला नहीं मिलेगा तो तुम मुझे अकेला छोड़ दोगी । देखो केला तो अब सोमवार को मास्टरों के अलावा बन्दरों तक को मिलना मुश्किल है ।
इसलिए अब एक ही रास्ता है । अगले सोमवार को मेरी
ड्यूटी वृक्षारोपण की चेकिंग में है कि किस
मास्टर ने कितने वृक्ष लगाए तो एक काम करो तुम भी अगले सोमवार को एक पेड़ लगा लो ......वो भी केले का । घर में ही केले का पेड़ होगा
। तो जब चाहों तब व्रत रखना और जब चाहना तब केला
खाना । पर्यावरण की भी रक्षा होगी और मेरी भी
हो जाएगी । ”
नर्मदा - “ ठीक है जी एक
पेड़ लगा लूँगी पर एक बात तो बताइए जी , केले का पेड़ पहले दिन से तो फल देने लगेगा नहीं तो जब तक फल नहीं आना शुरू होते
तब तक हम कहाँ से केले खाएँगे ? ”
अब तक
केला , केला सुनकर तंग आ चुके दिनेश ने कहा - “ करोगी क्या ?
तुम
कुछ मत करना । बस घर बैठे डिमांड करती रहना
। करूँगा तो मैं अगले सोमवार को । जब
वृक्षारोपण की जाँच को जाऊँगा तो दो-चार जगह केले में कमी निकाल दूँगा । कहीं साइज के नाम पर तो कहीं क्वालिटी के नाम पर ।
एक-दो
जगह खाद्य विभाग की टीम को 'निर्देश'
देकर
भिजवा दूँगा । जानती हो अगर खाद्य विभाग वाले अपनी
पर आ जाएँ तो अमृत में भी कमी निकाल दें फिर केला किस पेड़ की मूली है । मैं मास्टरों पर कार्यवाही करने का इतना डर बिठा दूँगा कि अगले
सोमवार से उन्हें केलाफोबिया हो जाएगा । फिर सारे
मास्टर आपसी सलाह से किसी और फल पर सहमत हो
जाएँगे ...... तुमसे बस एक गुजारिश है । अब अपनी पसंद मत बदलना । सोमवार को व्रत रखना तो केला ही खाना । क्योंकि तुमने पसन्द
बदली तो मास्टरों में दूसरे फल के प्रति डर
बिठाना पड़ेगा । ”
लेखक
प्रांजल सक्सेना
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