पति
उवाच
तुम
ही हो मेरी प्यारी पत्नी ,
तुम
ही हो मेरी प्यारी पत्नी ।
न
करो अपना दिल छोटा ,
मुझे
न समझो पति खोटा ।
माना
सुंदर है मेरी सेक्रेट्री ,
तुम्हारी
सुंदरता एक हिस्ट्री ।
फिर
भी तुम पर मरता हूँ ,
प्यार
तुम्हें ही करता हूँ ।
वो
सेक्रेट्री पर तुम हो पत्नी ,
तुम
ही हो मेरी प्यारी पत्नी ।
माना
वो लगती है सुंदर ,
तुम
हो पुराना खण्डहर ।
माना
उसकी सुंदर टाँगे ,
तुम्हारे
पास बस माँगें ।
वो
कपड़े पहन भी अर्द्धनंगीनि ,
और
तुम हो मेरी अर्द्धांगिनी ।
माना
वो है चटपटी चटनी ,
तुम
ही हो मेरी प्यारी पत्नी ।
माना
शहद सी उसकी बोली ,
और
तुम एक कड़वी गोली ।
माना
वो लगती मनभावन ,
पर
मैं तुम्हारा पक्का साजन ।
माना
उसे देख मैं हो जाता जवान ,
और
तुम्हें देख याद आए शमशान ।
भले
जी वो हो पहाड़ की जर्नी ,
पर
तुम ही हो मेरी प्यारी पत्नी ।
पत्नी
उवाच
हे
! पतिदेव हमें न बहलाओ ,
बातों
को तुम न गोल घुमाओ ।
हम
भी मर्दों की फितरत जानते ,
आपकी
तो अच्छे से पहचानते ।
पत्नी
सुंदर हो या सुन्दरतम ,
फिर
भी चाहो एक प्रियतम ।
घर
से बाहर भी चाहो सजनी ,
भले
ही कितनी अच्छी हो पत्नी ।
माना
कभी मैं बर्तन मंजवाती हूँ ,
कपड़े
भी तुमसे धुलवाती हूँ ।
पर
वो तो सैंडिल उठवाएगी ,
मॉल
में जेब खाली कराएगी ।
और
जब जेब खाली हो जाएगी ,
तब
वो किसी और को पटाएगी ।
घरवाली
सबको लगे है वजनी ,
भले
ही कितनी अच्छी हो पत्नी ।
जब
बियाह के घर में आई थी ,
तब
मैं भी मक्खन मलाई थी ।
बच्चों
का जन्म , तुम्हारी फिकर ,
इन
सबने बिगाड़ी मेरी फिगर ।
जो
इन जिम्मेदारियों से हटती ,
तुम्हारी
कोई इज्जत न रहती ।
फिर
भी तुम्हें भाए वो बातूनी ,
भले
ही कितनी अच्छी हो पत्नी ।
प्रांजल सक्सेना
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